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Showing posts from May, 2018

वायुमण्डलीय आर्द्रता

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हमें GOOGLE+ पर फॉलो करें और पायें और आकर्षक जानकारियाँ , तथा अपने अनुभव हमें COMMENT BOX में अवश्य बतायें आर्द्रता वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं| जलवाष्प का अनुपात वायुमंडल में  0 - 4 % तक होती है| आर्द्रता की मात्रा विषुवत रेखा पर सर्वाधिक होती है| ध्रुवों पर और रेगिस्तान पर ये सबसे कम होती है| समुद्र सतह से दूर जाने पर आर्द्रता की मात्रा घटती है| <वायुमंडल कि आर्द्रता को हाइग्रोमीटर से मापते हैं|> वाष्पीकरण जल के वाष्प में बदलने की प्रक्रिया को ही वाष्पीकरण कहते हैं| संघनन  जलवाष्प का छोटे - छोटे जल कणों में बदल जाना संघनन कहलाता है| वायुमंडल में मौजूद धुल के कण या धुएं की कालिक आर्द्रता ग्राही नाभिक होते है| ओस वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प जब घास, पत्ति, पत्थरों, पर बूँद के रूप में एकत्रित हो जाता है, तो इसे ही ओस कहते हैं| इसके लिए साफ़ आकाश, शांत हवा, लम्बी एवं ठण्डी रातें होनी चाहिए| तुषार / पाला  जब धरातल का तापमान हिमांक से नीचे आ जाता है, तो वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प हि...

पवन / WIND

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पवन हमारे blog पर आपका स्वागत है, हमें Facebook / Twitter / GOOGLE+ पर फॉलो करें और पायें और आकर्षक जानकारियाँ फेरल का नियम  कारिआलिस बल के कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर घूम जाती हैं| पवनें तीन प्रकार की होती हैं... प्रचलित पवनें (स्थाई ) ये वे पवनें होती हैं जो हमेशा एक ही दिशा में चलती हैं,  साल भर इनकी दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है| व्यापारिक पवनें (Trade Winds) ये उप्पोषण उच्च पेटी से विषुवत रेखीय निम्न पेटी की ओर चलती है| विषुवत रेखा पर ये पवनें टकराकर ऊपर उठ जाती हैं, और घनघोर संवहनीय वर्षा कराती हैं| पछुआ पवनें  ये पवनें उप्पोषण उच्च पेटी से उपध्रुवीय निम्न पेटी की ओर चलती हैं| ध्रुवीय पवनें  ये धुवों से उपध्रुवीय निम्न पेटी की ओर चलती हैं, ये पवनें अत्यंत ठण्डी और अधिक जलवाष्प वाली होती हैं| इन्हें America व Canada में ब्लिजर्ड कहते हैं| अस्थाई पवनें  ये पवनें एक वर्ष में अपनी दिशा एक से अधिक बार बदलती हैं| मानसूनी पवनें  मानसून अरबी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ नम समुद्री हवाएं ...

वायुमंडल

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वायुमंडल  हमारे blog पर आपका स्वागत है, हमें Facebook / Twitter / GOOGLE+ पर फॉलो करें और पायें और आकर्षक जानकारियाँ वायुमंडल विभिन्न प्रकार की गैसों का अस्मांगी मिश्रण है| गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वायुमंडल पृथ्वी से संबध्य रहता है| वायुमंडल पृथ्वी के तापमान को औसत रूप से 15०C के रूप में बनाये रखता है| वायुमंडल में मुख्य रूप से गैसें , जलवाष्प , और धूलकण पाये जाते हैं| वायुमंडल में पाई जाने वाली प्रमुख गैसें नाइट्रोजन ये एक उदासीन गैस है, वायुमंडल में सर्वाधिक 78% पाई जाती है| ये दहन को मंद करती है| पौधे नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में ग्रहण करते हैं| ऑक्सीजन  ये लगभग 21% पाई जाती है| ये दहन में सहायक होती है| जलने की क्रिया इसके बिना संभव नहीं है| आर्गन ये लगभग 0.93% पाई जाती है| ये वायुमंडल की सबसे बड़ी अक्रिय गैस है| कार्बन डाई आक्साइड ये लगभग 0.0379% है| इसका मुख्य कार्य पृथ्वी को गर्म बनाये रखना है| ओज़ोन गैस  ये गैस एक प्रदूषण फ़ैलाने वाली गैस है| ये समताप मण्डल में पाई जाती ...

ज्वालामुखी / Volcano

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ज्वालामुखी हमारे blog पर आपका स्वागत है, हमें Facebook / Twitter / GOOGLE+ पर फॉलो करें और पायें और आकर्षक जानकारियाँ ज्वालामुखी भूपटल पर वह प्राकृतिक छेद या दरार है जिससे होकर पृथ्वी के अन्दर का पिघला पदार्थ, गैस या भाप, राख इत्यादि बाहर निकलते हैं| ज्वालामुखी से कार्बन डाई आक्साइड , सल्फर डाई आक्साइड , हाइड्रोजन , नाइट्रोजन और जलवाष्प भी निकलते हैं| ज्वालामुखी से जो बड़े-बड़े आकर की चट्टानें निकलती हैं उन्हें, ज्वालामुखी बम कहते हैं| मैग्मा   भूगर्भ में या धरती के अन्दर जो गर्म तरल पदार्थ पाया जाता है उसे मैग्मा कहते हैं| और जब ये मैग्मा धरती की सतह पर फैलता है तो इसे ही लावा कहते हैं| लावा के जमाव के कारण ही बेसाल्ट के मैदान (काली मिट्टी) बनते हैं| ज्वालामुखी के प्रकार  सक्रियता के आधार पर ये तीन प्रकार के होते हैं... (i) सक्रिय ज्वालामुखी वह ज्वालामुखी जिसमें निरंतर उदगार होता रहता है, ऐसे ज्वालामुखी को सक्रीय ज्वालामुखी कहते हैं| उदा०  स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी  ये भूमध्य सागर में सिसली के उत्तर में लिपारी द्वीप पर स्थित है,  इसे भूमध्य  साग...

GMT (Greenwich Mean Time) / प्रधान मध्यान(यामोत्तर) रेखा

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अक्षांश एवं देशांतर हमें GOOGLE+ पर फॉलो करें और पायें और आकर्षक जानकारियाँ , तथा अपने अनुभव हमें COMMENT BOX में अवश्य बतायें प्रधान मध्यान(यमोत्तर) रेखा / GREENWICH MEAN TIME (GMT) यहीं से पूरे विश्व का मानक समय लिया गया है, ये इंग्लैंड के लंदन से होकर गुजरता है| देशंतार् रेखाएं प्रधान यमोत्तर रेखाओं के पूर्व एवं पश्चिम के दोनों धुवों को मिलाती हुई खींची जाती हैं| दो देशान्तरों के बीच अधिकतम दूरी भूमध्य रेखा पर तथा न्यूनतम दूरी ध्रुवों पर होती है| देशान्तरों की संख्या - 360 180० देशांतर को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं| 1 देशांतर = 4 मिनट  पूरे विश्व को 24 TIME ZONE में बांटा गया है अगर कोई स्थान GMT से पूर्व में स्थित है तो समय जुड़ता(+) है, वहीँ अगर कोई स्थान पश्चिम में स्थित है तो समय घटता है(-)| भारत कला मानक समय 82.1/2(82.30) पूर्वी देशांतर से लिया गया है  विश्व में सर्वाधिक मानक समय रूस के पास है :-  11 भारत का अक्षांशीय विस्तार 8०4 उत्तरी अक्षांश से 37०6 अक्षांश तक है| भारत का मानक समय नैनी मिर्जापुर के निकट से लिया गया है| 18...

ज्वार - भांटा / Tide

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ज्वार भांटा  हमें GOOGLE+ पर फॉलो करें और पायें और आकर्षक जानकारियाँ , तथा अपने अनुभव हमें COMMENT BOX में अवश्य बतायें सूर्य व चंद्रमा के आकर्षण बल तथा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के आता है| समुद्री जल का ऊपर चढ़ना ज्वार तथा नीचे गिरना भांटा कहलाता है| सूर्य की तुलना में चन्द्रमा का आकर्षण बल ज्यादा काम करता है | ज्वार से एक प्रकार की विद्दुत बनाई जाती है, जिसे ज्वारीय उर्जा कहते हैं| भारत के गुजरात में खम्भात की खाड़ी में ये उत्पादित हो रही है| दीर्घ ज्वार / वृहत ज्वार जब सिजकी होती है तो इस दिन दीर्घ ज्वार आता है, ये पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन ही आते हैं| लघु ज्वार  जब सूर्य_चंद्रमा_पृथ्वी समकोण की स्थिति में होते हैं, ये प्रत्येक माह के सप्तमी, अष्टमी (माह में दो बार) आते हैं| एक स्थान पर अधिकतम एक दिन में दो बार ज्वार आ सकते हैं| दो ज्वारों के बीच का अंतर 12घंटे,  26मिनट होता है| पूरा ज्वार चक्र 24घंटे, 52मिनट में पूरा होता है| इंग्लैंड के साउथैम्पटन में दिन में चार बार ज्वार आते हैं| यहाँ पर 2 बार उत्तरी सागर से तथा 2 बार इंग्लिश चैनल से| विश्व ...

ग्रहण / Eclipse

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सूर्य ग्रहण / SOLAR ECLIPSE हमें GOOGLE+ पर फॉलो करें और पायें और आकर्षक जानकारियाँ , तथा अपने अनुभव हमें COMMENT BOX में अवश्य बतायें जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाये और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर ना पहुंचे तो ऐसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते है| सूर्य ग्रहण की स्थिति को युति कहते हैं| ये सदैव अमावस्या के दिन ही होगा | 1 वर्ष में अधिकतम 7 ग्रहण हो सकते हैं | सूर्य ग्रहण को नंगी आँखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि इस समय पराबैंगनी किरणों का उत्सर्जन बहुत बढ़ जाता है, ये हमारे स्वस्थ के लिए हानिकारक है | चन्द्र ग्रहण / LUNAR ECLIPSE जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तब चन्द्र ग्रहण होगा|  चन्द्र ग्रहण की स्थिति को वियुति कहते हैं| ये सदैव पूर्णिमा के दिन ही होगा| सिजकी  जब सूर्य-चन्द्रमा-पृथ्वी एक सीधी रेखा में स्थित होते हैं, तो इसे सिजकी कहते हैं| SuperMoon जब चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी के सबसे नजदीक आ जाता है और अधिक चमकीला दिखाई देता है...