वर्षण

बादल / मेघ 

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ये संघनन का एक प्रकार होते हैं, ये अधिक ऊंचाई पर स्थित होते हैं|

ऊंचाई के आधार पर बादलों का वर्गीकरण -

  • निम्न मेघ (2500मी०)
  • मध्य मेघ (2500 से 6000 मी० )
  • उच्च मेघ (6000 से 20,000 मी०)

बादलों की ऊंचाई विषुवत रेखा से ध्रुवों पर जाने पे घटती है|

उच्च मेघ (6000 से 20,000 मी०)


पक्षाभ मेघ 

ये सबसे ऊंचे बादल होते हैं, ये क्रिस्टल रूप में होते हैं तथा ये चक्रवात के सूचक होते हैं|

पक्षाभ स्तरीय मेघ 

ये दूधिया आकर के बादल होते हैं, ये सूर्य और चन्द्रमा के चारो ओर प्रभामण्डल बनाते हैं|

पक्षाभ कपासी मेघ 

ये भी सफ़ेद रंग के बादल होते हैं|

मध्य मेघ (2500 से 6000 मी० )

उच्च स्तरीय मेघ 

ये नीले / भूरे रंग के बादल होते हैं, ये बारिश कराते हैं|

उच्च कपासी मेघ 

इनमें इन्द्रधनुष दिखाई पड़ते हैं|

निम्न मेघ (2500मी०)

वर्षा स्तरीय मेघ 

सबसे ज्यादा बारिश वर्षा स्तरीय मेघ करते हैं|

कपासी वर्षा मेघ 

बारिश के साथ साथ आंधी, तूफ़ान, ओला,झंझा आदि को लाते हैं|


हिमपात / SnowFall


जब संघनन हिमांक से नीचे हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में SnowFall होता है|

बादल का फटना 


जब किसी क्षेत्र में अचानक सामान्य से अधिक वर्षा होने लगती है, तो इसे बादल का फटना कहते हैं| ये आम तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में होता है|

तड़ित झंझा 


ये एक प्रकार की तूफानी वर्षा है, जो बिजली की चमक, गरज, धुलभरी आंधी के साथ होती है, जिसे हम तड़ित झंझा कहते हैं|

बिजली का चमकना 


बादल धनात्मक और ऋणात्मक आवेश वाले होते हैं, और ये जब आपस में टकराते हैं तो अति उच्च शक्ति की बिजली पैदा होती है|

वर्षा के प्रकार ...

संवहनीय वर्षा 

जब अधिक तापमान के कारण धरातल की पवनें गर्म होकर ऊपर उठने लगती हैं, और ऊपर जाकर ठण्डी होकर वर्षा कराती हैं, तो उसे ही संवहनीय वर्षा कहते हैं| ये वर्षा विषुवत रेखा पर होती है|

पर्वतीय वर्षा 

जब किसी नम वायु के मार्ग में कोई पर्वत आ जाता है, तो ये पर्वत के ढाल के सहारे ऊपर चढ़ने लगती हैं, और भरी वर्षा कराती हैं|
पर्वत के सामने वाली ढाल पवनाभिमुख ढाल पर बहुत अधिक वर्षा होती है, तथा पहाड़ के दूसरी ओर भुत कम वर्षा होती है, जिसे पवनाविमुख कहते हैं, और इसे वृष्टि छाया प्रदेश भी कहते हैं|

चक्रवर्ती वर्षा 

ये गर्म व् ठण्डी वायु के आपस में टकराने के कारण होती है|
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