सौर मण्डल / Solar system

सौर मण्डल

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सूर्य उनके ग्रह, उपग्रह, उल्कापिण्ड से सौर मण्डल का निर्माण होता है|
इसका मुखिया सूर्य है| इनमें से 99% तक द्रव्यमान केवल अकेले सूर्य के पास होता है|
यहाँ गुरुत्वाकर्षण का मान सर्वाधिक होता है, इसी लिए यहाँ सर्वाधिक तारे पाये जाते हैं|
संलयन की क्रिया केंद्र में ज्यादा तथा किनारों पर कम होती है|
सौरमंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल।

उपग्रह (Satellite)


वे आकाशीय पिण्ड जिनका अपना प्रकाश नहीं होता है, और ये ग्रहों के चक्कर लगते हैं|
ये दो प्रकार के होते हैं -- प्राकृतिक, कृत्रिम
अंतरिक्ष की दूरो प्रकाश वर्ष या पारसेक में मापते हैं|

प्रकाश वर्ष --  9.46x1015 मीo     या        9.46x1012 कि.मीo

पारसेक --      1 पारसेक = 3.26 प्रकाश वर्ष (ये दूरी का सबसे बड़ा मात्रक होता है)


खगोलिक इकाई / Astronomical unit

पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी को खगोलिक इकाई कहते हैं|
इसका मान -  14.96 करोड़ km.

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सूर्य / SUN


सूर्य मध्यम आयु का मध्यम तारा है| इसका व्यास 13लाख km है| 
इसमें  71% हाइड्रोजन, 26.5% हीलियम तथा 25% अन्य गैसें हैं|

ये गैसीय + प्लाज्मा अवस्था में पाया जाता है|
सूर्य का तापमान - 15 मिलियन o
किनारों पर - 6000oC (फोटो स्फेयर प्रकाश मण्डल )
सौरकलंक का तापमान -  1500oC
सौरकलंक 11 वर्ष बढ़ते हैं, तथा 11 वर्ष घटते हैं|

अरौरा 

अरौरा एक प्रकार की सौर ज्वाला है, जो ध्रुवों पर हमें चमकीली दिखाई पढ़ती है|
उत्तरी ध्रुव पर - आरौरा बोरियालिस
दक्षिणी ध्रुव पर - आरौरा आस्लिटेस 


कोरोना (किरीट)

यह सूर्य का सबसे वाह्यतम भाग है, जब पूर्ण सूर्य ग्रहण पड़ता है तो ये हमें दिखाई देता है|


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उपसौर

जब पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी न्यूनतम रहती है| <निकटम दूरी - 3 जनवरी 14.70 करोड़ KM.>


अपसौर 

जब पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी अधिकतम रहती है| <अधिकतम दूरी - 4 जुलाई  15.21 करोड़ KM.>


क्षुद्रग्रह


मंगल और ब्रहस्पति के बीच में पाये जाने वाले छोटे - छोटे पिण्डो को क्षुद्र ग्रह कहते हैं| 
या 
पथरीले और धातुओं के ऐसे पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं लेकिन इतने लघु हैं कि इन्हें ग्रह नहीं कहा जा सकता। इन्हें लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह या ग्रहिका कहते हैं

क्षुद्र ग्रह, सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये वैज्ञानिक इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते हैं। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होंने पाया है कि ये पट्टा सघन नहीं है, इन क्षुद्र ग्रहो के बीच में काफ़ी सारी ख़ाली जगह है। अक्टूबर 1991 में गलेलियो यान क्षुद्र ग्रह क्रंमांक 951 गैसपरा के पास से गुजरा था। अगस्त 1993 में गैलीलियो ने क्षुद्र ग्रह क्रमांक 243 इडा की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह है

परिभ्रमण 

जब कोई ग्रह अपनी धुरी पर चक्कर लगता है तो इसी के कारण दिन / रात होते हैं, जिसे परिभ्रमण कहते हैं|

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 Bureau Reports... #holistic_knowledge

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